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Jul 27, 2011

'चाय का एक कप, बारिश और जिंदगी'


आज सुबह जब आँख
खुली
देखा उजियारे के साथ
एक अँधेरा था,
सुबह की भीनी खुशबू
के साथ
गीला सा कोई अहसास था.

यह उन दिनों में से
ऐसा दिन था,
जब बादल हो लड़ने को आतुर,
और मेघा तरसे भिगोने
को धरती.
मन खुश हुआ देख यह
आज दिन कुछ नया है
और मन भी कुछ
ठहरा हुआ.

सोचा मैंने,
ऐसी बारिश की बूंदों में
एक कप चाय की हो
जाये
और लिखी जाये कोई कविता
जिसे कहू में-
'चाय का एक कप, बारिश
और जिंदगी'.

इससे बेहतर
सुकूनमय क्या होगा
हो तल्लीन चाय की चुस्की
में जिंदगी
लेती बरखा की नन्ही बूंदों
का आनंद,
सुनती टप-टप उनका मुस्कुराता
शोर
और हू  सिर्फ मै अपने
शब्दों के बीच,
शब्दों के साथ.

लेकिन अगले ही पल,
नादानी लगी मुझे और
हँस पड़ी मै
सोचा था लिखूंगी
चाय का एक कप, बारिश
और जिंदगी का विस्तार
लेकिन भूल गयी तुम्हे....
तुम तो हर मौसम
में हो,
हर ख्याल मे तुम ही तो हो..

देखो कैसे आज भी
मुस्कुरा रहे हो 'ए जिंदगी मेरी'
चाय का एक कप मेरा
बारिश के साथ देखकर.... 

Jul 26, 2011

आने से तुम्हारे....

तुम्हारी तलाश
कहा कहा नहीं की
और एक दिन अचानक
आ खड़े हुए तुम सामने.

आने से तुम्हारे
जिंदगी ने जैसे कोई
गीत पुराना फिर गाया,
माना श्वेत पर रंगिनिया
बिखर गयी हो.

आने से तुम्हारे-
सुन्दर सुबह दस्तक देती
जैसी  चिड़िया के सजीले स्वर,
शाम सजती,
नीलाम्बर जैसे शोभित
होता गुलमोहर के
रंगों से.

तुम आये जैसे
होली में  टेसू की हो हलचल,
जैसे रंग ही रंग
हर जगह बिखरने को हो आतुर.

कही अनकही  बातें
हुई रोशन दिल के कोनो में,
ख्वाब ख्वाईशे सजी
जीवन के हर तार में,
बजने लगे सितार के
इन्द्रधनुषी स्वर हर पल
हर क्षण के गान में.

कितने सुन्दर हो तुम
शब्दों में नहीं समा पाते,
स्नेह विश्वास प्रेम
नाम में भी नहीं समा पाते,
क्या हो तुम
जो आने से तुम्हारे
सुबह शाम, गीत गान,
सब सज उठे
अपने ही श्रृंगार में.

कोई समझ पाए
या न पाए तुम्हे,
जीवन के लक्ष्य हो तुम,
अर्जुन की आँखों का
सार हो तुम,
जो पा जाऊ तुम्हें तो
कदमो में होगी
जीवन की मंजिल मेरी
और
सीरत  में होगी मेरी
सुन्दरता तेरी.


Life is all about goals. It is a constant journey to something. Today while visiting some very beautiful blogs, my heart was filled with joy. I wanted this beauty in my words, in my creations. I remembered my post about SEEK. Ya, sometimes we forget what we wrote, what we said, what we felt, what we wanted, what we dreamt. This poem is dedicated to my dreams, which I somehow lost or became unaware of in the process of finding/seeking some other things. Life is all about dreams, a person who fulfills their dreams are beautiful because the dreams and the effort went into fulfilling them, it all reflects in the personality of one's heart.

Jul 25, 2011

क्या हो तुम?

क्या हो तुम
मेरी शुरू होती जिंदगी
या चलती आयी जिंदगी का एक अंत.

क्या हो तुम
गर्मियों में डाल पर सजता गुलमोहर
या झड़ते हुए बसंत की हरियाली.

क्या हो तुम
इन आँखों का ख्वाब
या इस जीवन की सच्चाई.

क्या हो तुम
रौशनी से सराबोर एक आरजू
या अँधेरे में डूबती हुई एक लौ.

क्या हो तुम
इन शब्दों की खूबसूरती
या इनमे बहता हुआ दर्द.

सच बहुत मुश्किल है यह जान पाना,
क्या हो तुम
मेरी आवाज
या मेरी ख़ामोशी.

This poem signifies that every aspect of our lives has two sides. It is our perspective and our wisdom which one we want to see, to accept and to follow. Through this poem, I want to convey to myself and to everyone who reads it, life is all about being positive and always seeing the good things which leads to joy and inner peace. There may, well there are moments which pull all of us down some day or the other, and when at these moments, we think, "no, I can't get up", just then it is our responsibility to our life to get up again and keep trying till we reach the positive aspect of that situation, of that particular hardship. Never is an event in life that is meant to go waste. We learn a lot and we grow a lot.

I love the words of Collin Turner, in his book- "Shooting the monkey":
Everywhere we go, we meet ourselves!

Whatever we do in our lives, how we behave, how we conduct ourselves as friends, how we love...all points to us as a person. Each situation, each being in our life is a reflection of our own self. I love this fact that when I love somebody, when I am friends with somebody, I am knowing myself more. In this process I am discovering myself, my goodness and my bad things....that's the beauty of this human life we never stop learning, we never stop being better :-) .....

Jul 10, 2011

The Meeting - Katherine Mansfield

We started speaking,
Looked at each other, then turned away.
The tears kept rising to my eyes.
But I could not weep.
I wanted to take your hand
But my hand trembled.
You kept counting the days
Before we should meet again.
But both of us felt in our hearts
That we parted for ever and ever.
The ticking of the little clock filled the quiet room.
"Listen," I said. "It is so loud,
Like a horse galloping on a lonely road,
As loud as a horse galloping past in the night."
You shut me up in your arms.
But the sound of the clock stifled our hearts' beating.
You said, "I cannot go: all that is living of me
Is here for ever and ever."
Then you went.
The world changed. The sound of the clock grew fainter,
Dwindled away, became a minute thing.
I whispered in the darkness. "If it stops, I shall die."