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Mar 26, 2014

A bug's life!


The world do not belong to the weak,
the weak are hidden
crawling deep within the mud
like they do not exist!

The world speaks of the strong
the courageous and the brave,
just like these words sum up 
the quality "success"!

Short is a life of a bug
no one aware of the breaths taken
no one will ever know the time of thy death
such is the way of the world!

The Moon all shining white
poets maddened on its sight
tell me, who writes about the countless stars
shining in the same sky!

Take up a stand
raise a voice
challenge the living
if you love the word "winning"
if you choose to be the LIFE!


Image Courtesy: Google Images

Mar 25, 2014

तेरे बाद....


विरह वेदना सी स्याही
उतरी आज इस लेखनी में,
जाने कैसे स्याह फूल खिलेंगे
आज इस जीवन की बेली में.

वीरानों सा यह अकेला मंजर
खाली पड़ी इन हथेलियों में,
जाने कैसी सीरत संवरेगी
तेरा नाम नहीं जिन लकीरों में.

पीड़ा सा मधुर शब्द
सदियों छुपा रहा अंतस में,
जाने कैसे प्रेम की शीतल बयार
खोल चुकी यह स्त्रोत, तूफानों में.

शब्दों सा स्थायी बंधन
जुड़ा रूहों के कोनों-कोनों में,
जाने कैसे सुनसान रहेगी
यह कवितायेँ तेरी जुदाई में.

Image Courtesy: Google Images
This poem was published in Hindi Chetna, January 2013 edition.

Mar 18, 2014

The Scene!


Out of the window
lies forlorn deserted hills
pale yellow & brown
with a few spots of green trees...

...why such a scene
reminds me of you?
Am I the hill
and your memories the greenery!!!


Image Courtesy: Shishir Gupta Photography (A Scene from North California)

Mar 11, 2014

Spring is in the air!

Shishir & Shaifali Gupta poems & photos

This is the beginning of a new series on Dreams! Shishir, my better-half is an awesome photographer. Photography is his passion and poetry mine. This series will bring us together on this blog. My first attempt with his photo "Spring is in the air" resonating with my words "Everywhere you".

Mar 8, 2014

Happy Women's day?


आओ मनाये महिला दिवस
कर के इतिश्री इस सम्मान दिवस की
आओ पा ले वर्ष भर की स्वीकृति।

आओ मनाये महिला दिवस
याद करे हम माँ टेरेसा को
स्वर कोकिला और जगत जननियों को
चढ़ाये फूल और मालाएं
जोड़े हाथ ला दिल के करीब
गाये गान अभिवादन-प्रेरणाओं के
आओ मनाये महिला दिवस।

एक ही दिन है ये आडम्बर का
आओ हम तुम होड़ लगाये
देखे कौन करता कितनी नारेबाज़ी
किसे है कितने नाम याद वीरांगनाओं के
आओ देखे कौन जीते ये बाज़ी
मिलते किसे स्वयं ही हार-मालाएं
आओ मनाये महिला दिवस।

इस दिन की जब रात हो अँधेरी
मिल कर करे इसे और भी कारी
पैदा करे निर्भय-दामिनी को
आओ झोके अग्नि-श्रृंगार में बहुओं को
आओ मारे अजन्मी बेटियों को
फिर आराधना करे नव रात्रियों को
आओ मनाये महिला दिवस।

पूछे सवाल तो हमें क्या जवाब देना
ऊँगली उठा कह दे "निमित्त मात्र' हम तो
पूछो महाभारत में क्या हुआ था
क्या कौरवों ने न कुछ शुरू किया था
कोई भाई श्री कृष्ण बन आन बचाये
तो कोई शैतान बन लाज डुबाये
आओ मनाये महिला दिवस।

जग की रीत यह पुरानी
कहे "पुजे जहाँ नारी, देव है बस्ते वहाँ"
आओ हम-तुम लिखे नई परिभाषा
पूजा की विधि बनाये निराली
देवों को नया दे एक रूप
क्या रखा दकियानूसी संस्कारों में
आओ मनाये महिला दिवस।

आओ मनाये महिला दिवस
कर के इतिश्री इस सम्मान दिवस की
आओ पा ले वर्ष भर की स्वीकृति
भर ले दामन पाप से
पीड़ितों कि बेबसियों से
हमें क्या करना दामिनी से
हमारा न नाता जले चेहरों से
या मृत बच्चियों से
हम तो मनाते महिला दिवस
लेने वर्ष भर की स्वीकृति...

आओ आज भी मना ले महिला दिवस!


Image Courtesy: Google Images (Indian beauty)


Mar 4, 2014

समझ...

Shaifali Gupta Hindi poems

वो क्या इशारा है 
मैं समझ नहीं पाती,
एक पल की रवानी
एक पल का ठहराव,
एक पल सूरज का ओज़
एक पल चाँद-सा ठंडापन ...

न मालूम,
कहाँ के लिए थामी ऊँगली उसने 
मैं समझ नहीं पाती,
एक पल पर्वतों की उचाईं 
एक पल समुद्र-सी गहराई,
एक पल काटों की चुभन 
एक पल गुलाब-सी मादकता ...

ओ' कान्हा मेरे 
समझ से परे 
कौन-सा है खेल खेलता तू,
बाँह पकड़ घुमाता मुझे 
तो कभी छोड़ता निष्प्राण 
मैं समझ नहीं पाती ...

... उलझाव-सुलझाव यही दर्शाते 
मगर,
डुबाया, तो तैर सकने के लिए 
गिराया, तो उठ खड़े होने के लिए 
छोड़ा, तो स्वयं को पा जाने ले लिए 
बस इतना ही समझ पाती मैं।

This is a poem I resonate my entire being with. It shows my questions about the ever changing life and yet, the Faith in HIM. The poem became a part of November-2013 हरिगंधा magazine, a publication of हरियाणा साहित्य अकादमी। 
Image Courtesy: Google