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Apr 27, 2012

ख्वाईश ....


इतनी हसरत है तुझे पाने की,
की क्या जरूरत है जिये जाने की.

लहरों को कह दो लौटने की जरूरत नहीं
रेत से कदमों के निशां तो मिट ही चुके.

जिन सूरज की किरणों ने सुबह चूमा मुझे
उन्हें देर ना लगी रात अमावस बनने में.

मन मोहक संगीत तो निकला सितार से
मगर कमभ्क्त यह कौन जाने क्या चुभा तार को.

4 comments:

  1. wow... the last phrase is js awesome... nice read

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  2. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  3. सुन्दर कोमल भावों से सुसज्जित बेहतरीन प्रस्तुति

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