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Sep 18, 2014

यादों के फूल


आकाश से गिरता पानी
कैसे खेत की मेढ़ों
में भर,
देता जीवन आने वाली फसलों को…
यहाँ भी
गिरती बारिश की बूँदें
गीला कर रही मन की जमीं को
और मैं इस आस में
भीगती हर ओर
खिलेंगे जीवन बेली में
तुम्हारी "यादों के फूल" ....

2 comments:

  1. बहुत सुन्‍दर भावों को शब्‍दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्‍तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा,

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  2. Such an aching end. It is a beautiful poem as always, Shaifali. Your poems are real and touching. It invokes pictures of rain soaked fields and their hunger for drops of water falling from sky, symbolizing insatiable pining for someone. Thanks for sharing.

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