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Nov 10, 2014

Writer's Block!


यह बड़ी ही बेखुदी
है शब्दों की
जब मन होता है
चले आते है,
सैलाब सा ला-ज़ेहन में 
कागज़ पर घर बना जाते है। 

लेकिन,
मैं तो माध्यम ही हूँ 
इस फेरे में,
पुकारूँ जब तो रूठे हुए 
भी पाती हूँ
तड़पा कर मुझे बेहिसाब 
चैन जाने कहाँ पाते है 
यह शब्द।

सोचती हूँ,
ऐसी भी क्या बेखुदी है 
मेरे ही हो मुझसे जुदा हो जाते 
है यह शब्द।

Image Courtesy: Google images

2 comments:

  1. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात

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  2. अंतिम पंक्तियों में सटीक प्रश्न छोड़ती हुई ज़बरदस्त प्रेमपरक रचना.

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