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Feb 25, 2014

एक नया सफ़र ...


Poems Shaifali Gupta India

एक नए सफ़र पे
मंजिल ले आयी है
तलाश जिसका मकसद
ख़याल जिसके आसरे
ऐसा सफ़र होगा
यह मेरा-तुम्हारा ...

कल्पना में जीवन
विचारों में वजूद
सुरों में सुन्दरता
जिसकी, ऐसा सफ़र होगा
ये नया सफ़र मेरा-तुम्हारा ...

पलकों में खूबसूरती
हाथों में अनुराग
कदमों में समय
जिसके, ऐसा सफ़र होगा
ये नया रिश्ता मेरा-तुम्हारा ...

झरनों की श्वेतता
पेड़ों की हरियाली
गुलाबों की रंगत
जिसमे, ऐसा सफ़र होगा
ये नया एहसास मेरा-तुम्हारा ...

स्याह न कभी हो
बरसे न कभी जो
मुरझाये न कभी वो
ऐसा ये सफ़र होगा
सिर्फ मेरा-तुम्हारा
    हां, सिर्फ मेरा-तुम्हारा ...


This poem written straight from my heart, a few days after my engagement. Today on my husband's birthday, a little & very loving present for him.
Image Courtesy- Google

Feb 19, 2014

"to let..."

Shaifali Gupta-Magpie tales

Do not mistake
it's not the four walls I 'to let'
it's a castle I built once
the staircase leading to heaven!

Hush there,
tread carefully
you reach up to my abode
where once I birthed poetry
weaved love in every thread
emoted passion in every kiss
painted memories in every moment
& sighed pain when I woke up after this dream 
every mid-night!


This poem is a piece of my imagination for the image above provided by Magpie Tales!

Feb 18, 2014

ये ख़्वाहिश है मेरी...


भीड़ में रहकर भी सबसे जुदा 
सितारों के संग रहकर भी चाँद बनूं 
ये ख़्वाहिश है मेरी ...
 
राहों में रहकर भी राहगीर नहीं 
पानी में बनती बिगड़ती लहर हूँ
ये ख़्वाहिश है मेरी ...
 
काटों पर चलकर भी दर्द हो महसूस 
आँसूंऔ में रहकर भी इक मुस्कराहट बनूँ 
ये ख़्वाहिश है मेरी ...
 
समंदर के करीब रहकर कोलाहल नहीं 
वरन उसके भीतर का गाम्भीर्य बनूँ 
ये ख़्वाहिश है मेरी ...
 
शोर के बीच गरज नहीं 
वरन उसके बीच की नन्ही ख़ामोशी बनूँ 
ये ख़्वाहिश है मेरी ... 
 
भीड़ में रहकर भी सबसे जुदा 
सितारों के संग रहकर भी चाँद बनूँ
ये ख़्वाहिश है मेरी ...
 

This poem of mine is very close to my heart as it portrays my inner dreams and wishes. I wrote it long back, somewhere around year 1999, but still holds true. I am glad, it got a place in one of my favorite publications "हिंदी चेतना", a quarterly publication from Canada. Click here to read it, along with my other poems-


Image courtesy: Google
(These colorful butterflies signifies freedom, dreams and happiness to me. )

Feb 11, 2014

For you Mom!

For a valentine who's loved all the year through and even beyond that. Words fail to show love and affection for her, a little effort to tell her she is the best! I am glad this poem is published in the first quarter of 2014,  in "Hindi Chetna", a literary publication from Canada. A small gift to mom this Valentine....

"माँ- आप" 


आम के बौर-सी 
भीनी-सी माँ,

गर्मी में गुलमोहर-सी 
साहसी-सी माँ,

जेठ की दोपहरी में 
छाँव-सी माँ,

गिरते हुए पलों में 
आशा-सी माँ,

पहाड़ों के गिरते झरनों में 
कलकल-सी माँ,

सुबह-सुबह के पंछियों-सी 
चहचाहट-सी माँ ,

लड़खड़ाते कदमों में 
संबल-सी माँ,

जीवन के रसों में 
शृंगार-सी माँ,

यादों की झलकियों में,
कृष्णा-सी माँ,

संसार के समस्त रूपों में 
आत्मा-सी माँ  

Feb 4, 2014

"पगली"


जो शब्दों में बाँधने तुम्हें चली मैं 
देखा एक मुस्कान सी तिर गयी 
तुम्हारे चेहरे पर 
जैसेबिन कहे ही कहा हो मुझे 'पगली'
"नादान! मुझे कैद करने चली है.… "
फिर भी मैंने हार न मानी 
कई विधा तुम पर वारी 
अंतस्  में फैलता तुम्हारा ओज 
लेखनी पर आने को जैसा मचल रहा था,
जो मिला था सुकूँ तुम्हारी सूरत से 
जो बरस रहा था नेह हर पोर से
सोचा -एक कविता तो अर्पण करूँ तुम्हें 
बस इसी द्दो-जहद में 
पन्नों पर कई बार लिखा नाम तुम्हारा 
हर बार नाम के साथ एक सीरत मुस्काई,
हर बार जैसे लगा थामा हो हाथ तुमने 
कभी न छोड़ जाने के एक वादे के साथ.
बस तभी शायद लगा 
सच कहा था तुमने मुझे 'पगली'
मीरा भी कह देते तो रंज न होता!
कभी आत्मा में बसे तुम,
कभी ह्रदय में समाये 
कभी किताबों के कवर पर जा विराजे 
कभी शब्दों में बिखर पड़े
ठीक ऐसे ही जैसे 
हर जगह तुम्हें ना पाकर भी
जैसे पा लिया हो तुम्हें 
सच…. मेरे कृष्णाऐसा तो तुम्हारे साथ ही होता है न!


This poem of mine was featured in NRI poetry section of Delhi International Film Festival, 2014- http://www.delhiinternationalfilmfestival.com/ - All poets->NRI poets