What can I do with you my life?
love you, hate you, be happy with you, care for you.
be confused with your being, misunderstand you, understand you,
like you, dislike you, want to live with you, want to run away from you.
आज यह क्या हुआ,
मेरी समझ से परे हुआ जो हुआ.
आज जीवन का यह स्पर्श
अच्छा नहीं लगा मुझे, जैसे एक सिहरन सी काप उठी मेरी आत्मा मे.
मैंने दिल से सोचा और हार गयी मै
फिर सोचा इतनी जल्दी
या फिर इतनी देर से हारी मै.
क्या मै समझती हू तुम्हे
या नहीं,
क्या तुम जानते हो मुझे या नहीं
आज कुछ रिश्ता अधूरा सा लगा मुझे.
आज मन में तृष्णा , आक्रोश
सब भर गया ..
और मै हार गयी.
खुद से या तुमसे
यह नहीं समझ पाई मै.
क्या तुम जुड़े हो मुझसे
या मै ही नहीं जुड़ पाई
यह सवालो के जवाब नहीं
दे पाई मै खुद को
और हार गयी मै खुद से
या शायद तुमसे.
शब्द तो बहुत है
लेकिन कागज़ नहीं कोई,
तस्वीर तो है
लेकिन रंग नहीं मेरे पास
ना ही आकाश रंग डालने के लिए,
फिर लगता है
आकाश नहीं जमीन ही काफी है
रंगों के लिए.
मिल जाये या पहचान पाऊ तो जमीन ही रंग दू
अगर आकाश का इन्तेजार बेमानी है.
आज मन उलझा है
सोच रही हू कल क्या पाउंगी मै
क्या सूरज देगा मुझे साफ्गोशी?
क्या डालेगा रौशनी मेरी सीरत पर?
क्या देख पाऊँगी मै क्या सही क्या गलत?
कल का इन्तेजार नहीं करना आता मुझे
आज ही सोच लुंगी कल का मेरा कर्म
शान्ति, सादगी, कर्म से भरू खुदको
और बस छोड़ दू सब तुम पर, मेरे कान्हा
ध्यान रखो मेरा और
दिखाऊ मुझे मेरा रास्ता!
love you, hate you, be happy with you, care for you.
be confused with your being, misunderstand you, understand you,
like you, dislike you, want to live with you, want to run away from you.
आज यह क्या हुआ,
मेरी समझ से परे हुआ जो हुआ.
आज जीवन का यह स्पर्श
अच्छा नहीं लगा मुझे, जैसे एक सिहरन सी काप उठी मेरी आत्मा मे.
मैंने दिल से सोचा और हार गयी मै
फिर सोचा इतनी जल्दी
या फिर इतनी देर से हारी मै.
क्या मै समझती हू तुम्हे
या नहीं,
क्या तुम जानते हो मुझे या नहीं
आज कुछ रिश्ता अधूरा सा लगा मुझे.
आज मन में तृष्णा , आक्रोश
सब भर गया ..
और मै हार गयी.
खुद से या तुमसे
यह नहीं समझ पाई मै.
क्या तुम जुड़े हो मुझसे
या मै ही नहीं जुड़ पाई
यह सवालो के जवाब नहीं
दे पाई मै खुद को
और हार गयी मै खुद से
या शायद तुमसे.
शब्द तो बहुत है
लेकिन कागज़ नहीं कोई,
तस्वीर तो है
लेकिन रंग नहीं मेरे पास
ना ही आकाश रंग डालने के लिए,
फिर लगता है
आकाश नहीं जमीन ही काफी है
रंगों के लिए.
मिल जाये या पहचान पाऊ तो जमीन ही रंग दू
अगर आकाश का इन्तेजार बेमानी है.
आज मन उलझा है
सोच रही हू कल क्या पाउंगी मै
क्या सूरज देगा मुझे साफ्गोशी?
क्या डालेगा रौशनी मेरी सीरत पर?
क्या देख पाऊँगी मै क्या सही क्या गलत?
कल का इन्तेजार नहीं करना आता मुझे
आज ही सोच लुंगी कल का मेरा कर्म
शान्ति, सादगी, कर्म से भरू खुदको
और बस छोड़ दू सब तुम पर, मेरे कान्हा
ध्यान रखो मेरा और
दिखाऊ मुझे मेरा रास्ता!