Jan 29, 2012

चाँद और तुम!

चाँद को पाना संभव है शायद
और तुम्हे?

चाँद को छूने की ख्वाइश,
सितारों को करीब से देखने की आरजू
थी दिल में
मगर एहसास-ए-बुलंदी नहीं थी
की मुमकिन हो ऐसा,
तभी मिली मै तुमसे
और भूल गयी सब चाँद-सितारे
रम गयी तुम्हारी ख्वाइश में ऐसे
लेकिन जब आँख खुली
समझ आया
उन्हें पाना संभव है शायद
और तुम्हे?

मन का दरिया
श्वेत कमल सा रंग लिए
तुम्हारी ओर बह रहा था जोरों से,
आसमान के चाँद का अक्स
देखा करता था अपने आईने में
इठलाता था तुम्हे पाने की आस में
लेकिन जब संगीत ख़त्म हुआ और
जिंदगी ने नाच नचाया
बिन सवाल ही जवाब आया
चाँद का अक्स और चाँद खुद ही पाना
संभव है शायद
और तुम्हे?

I came across this beautiful expression today for the first time- 'I love you to the Moon & Back' . Isin't a lovely statement to say & feel, so here I am with my latest words. 

Jan 17, 2012

कुछ दर्द....

कुछ दर्द के शब्द नहीं होते,
एकदम चुप 
मगर साथ चलते है वो हरदम.

हर दर्द,
हर ख़ुशी
पर छलक के आँखों
में आ जाते है,
कभी कोमल मुस्कान
तो कभी गहन एहसास
से सराबोर कर जाते है मन को.

साथ निभाते,
हाथ पकड़,
हर दिन हर रात
जेहन में आते है यह कुछ दर्द.
अजीब से है!
मुझे रौशनी दिखाते
कभी अंधेरो में जो खुद जन्मे!

सोचो तो उनका अस्तित्व
व्यर्थ,
मगर जानो तो उनका है
एक लक्ष्य आत्मिक
जोड़ दे मुझे जो 'शक्ति' से
जिसने तोडा मुझे भरपूर बल से
अजीब से है ऐसे कुछ दर्द!

Life is strange! Change is the constant change. Incidents/events in life sometimes leaves us with marks on our heart and mind. Marks, images, thoughts, realities, tears and feelings which we can never erase, which we never wished for in the first place. These marks are like shadows in the day and darkness in the night- ever with us. They happened for some purpose, HE gave them to us in hope we would cut straight through them and emerge stronger (though we were left hugely weak & hurted). Easier written than done and felt. If we stand up each day with a little hope and a little curve on our lips, we could pray for strength and faith through out the day. And I believe, sometimes it's no harm in giving up hope. May be, that's the best we can do on that day and wait for yet another day we can reshape ourselves to fight the pain inflicted on us. HE is there with us, even if, may be he shows his presence in the pain.