आज अभी सोचा मैंने
क्या लिख रही हू
और क्या सोच रही हू,
तभी ख़याल आया
क्यों न लिखू तुम्हे,
मेरे ही हो तुम
भाग्य हो तुम
और सब कुछ ही तो हो.
किस नाम से पुकारू तुम्हे
हसना-रोना भी तुम,
मुस्कान-आँसू भी तुम,
मंजिल-मुश्किले भी तुम,
पाना-खोना भी तुम,
जब सब कुछ तुम तो क्या सोचू
और क्या कहू,
चलो, आज से तुम्हारा ही रूप लिखूंगी
तुम्हे ही सजाऊँगी अपने शब्दों मे
....मेरी जिंदगी......
Wah! kya baat hai!!
ReplyDelete"Zindagi hai to khaawb hai...
Vishwaas hai to jeet hai".(for the rest which i presume u know chk out my latest which has these at the start.
Admire ur artistic template too.
What a coincidence.Loved this one and will go through more.
Happy to meet you here.:)
Thanks Shivani. I liked your post. I will keep following your blog. Comments are welcome here too!
ReplyDeleteGood luck.
By the way, you have a beautiful name.
Thanks for visiting my blog and appreciating this poem, Shoonyakonn.
ReplyDelete