बाजारों दुकानों में
सज गए प्यार के साज़ो-सामान,
गुलाबी - लाल गुब्बारे
भर रहे होठों पर मुस्कान.
लगता वेलेंटाइन भी अब
जैसे एक त्योहार,
सन्देश प्यारे प्यारे
जो कहते हम है तुमसे दिल गए हार.
दिमाग में उठता एक सवाल
मन कहता लेकिन न पूछ,
प्यार का एक दिन, नफरत के हजार
क्या यह है हमारी सूझ-बूझ?
प्यार है अँधा और भरा इसमें जूनून
कैसे बाँध लू इस बंधन को दिन में एक,
जबकि जानू मैं जलते ख्वाबो-ख्वाईशों
के दीये हर पल हर सांस में अनेक.
तुमसे जुड़ कर लगता मुझे
जैसे प्यार ही जिंदगी की सीरत,
हर क्षण, हर लम्हा
जैसे हो बढती हुई तुम्हारी जरुरत.
प्यार एक दिन नहीं, एक हफ्ता-साल नहीं
एहसास ऐसा जो खत्म न हो कभी,
एक जन्म लगता कम मुझे
जतलाऊं बताऊँ जितना भी, कम फिर भी.
शब्द-दर-शब्द पिरोती जाऊं
जैसे हो माला 'उसकी',
हर मोती संग पाती जाऊं तुम्हे
जैसे हो 'उसकी' छवि-सी.
हर साँस-साँस तुम्हारा ख़याल
हर धड़कन तुम्हारी आरज़ू,
कैसे संभालूं यह मन के ज़ज्बात
तुम शब्द नहीं मेरे, बस आत्मा की जुस्तजू!
Love is not dependent on a day. The strong urge to be with that someone special, to express our feelings and emotions, to hold someone's hand, to share a hug, to light up the day with a kiss, to say kind and true words, all this does not wait for Valentine's day! Somewhere in my heart, today I am happy and I want to say 'I Love You' to the special people I love, but at the same time my mind asks me this question, why just one day, why just today? I hope my confusion is clear through this poem and my love too!!!! :-)
May God bless you with lots of love, not just today but every day.