पलकों में ख्वाब लिए
आज इंतज़ार किया,
उस पैगाम का जो आया ही नहीं,
तुम्हारी साँसों में मेरा नाम नहीं
शायद आज!
आँखें बंद कर देखा मैंने
गहरे समंदर का विस्तार
याद किया नीले आकाश वाला
तुम्हारा वो प्यार, मगर बादल
बरसे आज और मेरी आँखें भी!
दिल पर हाथ रख मैंने
महसूस किया धडकनों का पागल वेग,
भाग रही थी बेतहाशा तुम्हे खोजती हुई
मगर नहीं आये तुम,
कई और दिनों की ही तरह.
पागल नादान धड़कने रूठी बैठी है अब!
नीले समंदर और नीले आकाश
में तस्वीर है तुम्हारी और तुम्हारा रंग भी,
चाहकर भी नहीं छूट पाता
जीवन में यही रंग बचा हो जैसे,
बाकी सारे रंगों से जीवन अनजान है अब शायद!
आज फिर इंतज़ार ही नाम
था मेरा दूसरा ,
बस इतना बता दो,
तुम्हारा क्या नाम था?
wow!!!!!!Shaifali just mind blowing poem.....
ReplyDeleteread it twice-threice........love it...........
Thanks a lot Indu. I am glad a beautiful poetess like you, liked my words :)
Deleteइंतज़ार ..............इबादत है.....करती रहो!!
ReplyDeleteNidhi, honestly its not a self expression. I was inspired by a few poems on some blogs which I read regularly. Anyways. thanks for your beautiful comment.
Deleteचुन-चुन कर शब्दों का आपने प्रयोग किया रचना है लाजवाब!!!
ReplyDeleteSanjay, thanks for being a regular reader of my blog. Your comments are always welcome.
DeleteBahut hi sunder kavita Shafali....
ReplyDeleteThanks for stopping by Seema. I am happy.
DeleteBeautiful. You described longing in a lovely way...:)
ReplyDeleteThanks a lot Saru. I am glad you mentioned the essence of the poem 'longing'.
DeleteIt is one of my favorite emotions on which I love to write. It is so complex that you always have many things to say...Isn't it???
Deleteबहुत ही बढ़िया रचना है....बेहतरीन अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteThanks a lot Amrendra. Keep visiting.
Deleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
ReplyDeleteRahulji, bahut shukriya.
Deletebahut sundar
ReplyDeleteaapko परिवार सहित होली की बहुत बहुत ढेरों शुभकामनाएं , यह पर्व आपके जीवन में खुशियाँ और उमंग लेकर आये
बसंत की जवानी है होरी ....>>> संजय कुमार
http://sanjaykuamr.blogspot.in/
Eternal wait! Beautiful lines :)
ReplyDeleteशैफाली जी, प्यार में विरह और इंतज़ार के पल बहुत अहमियत रखते हैं..जब ये पल कचोटते हैं दिल को जो आह उठती है वो कविता के सिवाय और क्या हो सकता है...महाकवि निराला की पंक्तियाँ याद आती हैं..."वियोगी होगा पहला कवि..आह से उपजा होगा गान......."
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और अनुपम कृति...बहुत बहुत बधाई.
just wept....speechless...
ReplyDelete:)
ReplyDeleteप्यारी सी कविता है!!
ReplyDelete♥
इंतज़ार किया उस पैग़ाम का , जो आया ही नहीं …
आदरणीया शैफाली जी
सस्नेहाभिवादन !
आपकी रचना में गहरी संवेदना है …
आभार !
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत बढिया
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