युवा शक्ति
बीज जिसका नन्हें हाथों में
चाल जिसकी नन्हें पाँवों में
बोल जिसके नन्हे तुतलाने में।
बीज 'गर जो पाये
अच्छाई की किरणें
स्नेह की सिचाईं
प्रोत्साहन की मिट्टी
बन सव्रेगा सुन्दर नेक पेड़ ...
...लदेगा जो मीठेपन से,
भँवरें गाए जिसका गुंजन
तितली इठलाये जिसके रस पर।
बीज 'गर जो पाये
स्याह कर्मों की परछाई
तिरस्कार का मरुस्थल
काटों की चुभन ...
...जन्मेगी शक्ति कलेषित
डसेगा दुर्योधन फ़न उठाए
जाने कितनी द्रौपदी पुकारेंगी
कहा से कितने आयेंगे मोहन
शीश झुकाए बैठ सिसकेंगे
हजारों पाण्डव।
हाथ में हमारे आज
लिखें लकीरें सतोप्रधान शक्ति की,
शक्ति जो माने, जो जाने
नारी के प्रति आदर,
नन्हों के प्रति स्नेह,
बड़ों के प्रति सम्मान,
ऐसी युवा शक्ति का
आओ मिल-करे निर्माण,
लाये पुनः सतयुग
निश्चल आत्मिक दैविक युग
शक्ति जो सात्विक
जीवन जो अलौकिक।
आओ मिल-हो स्वतंत्र
विकारों, इच्छाओं, माया से
पाए आत्मिक शक्ति,
आओ ऐसी युवा-शक्ति का
संजोये ख्वाब
मिल बुनें हाथों से स्वर्णिम कर्म
रोशन करे सूरज-सौन्दर्य,
आओ फिर मिल-करे ऐसी
'युवा-शक्ति' को नमन!
http://www.garbhanal.com/Garbhanal%2083.pdf
Bahut sundar and many congratulations. :)
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