विरह वेदना सी स्याही
उतरी आज इस लेखनी में,
जाने कैसे स्याह फूल खिलेंगे
आज इस जीवन की बेली में.
वीरानों सा यह अकेला मंजर
खाली पड़ी इन हथेलियों में,
जाने कैसी सीरत संवरेगी
तेरा नाम नहीं जिन लकीरों में.
पीड़ा सा मधुर शब्द
सदियों छुपा रहा अंतस में,
जाने कैसे प्रेम की शीतल बयार
खोल चुकी यह स्त्रोत, तूफानों में.
शब्दों सा स्थायी बंधन
जुड़ा रूहों के कोनों-कोनों में,
जाने कैसे सुनसान रहेगी
यह कवितायेँ तेरी जुदाई में.
Touching poem.
ReplyDeleteएक एक शब्द दिल के करीब ..............हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteI thot this was sad....:( :(
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