For a valentine who's loved all the year through and even beyond that. Words fail to show love and affection for her, a little effort to tell her she is the best! I am glad this poem is published in the first quarter of 2014, in "Hindi Chetna", a literary publication from Canada. A small gift to mom this Valentine....
"माँ- आप"
आम के बौर-सी
भीनी-सी माँ,
गर्मी में गुलमोहर-सी
साहसी-सी माँ,
जेठ की दोपहरी में
छाँव-सी माँ,
गिरते हुए पलों में
आशा-सी माँ,
पहाड़ों के गिरते झरनों में
कलकल-सी माँ,
सुबह-सुबह के पंछियों-सी
चहचाहट-सी माँ ,
लड़खड़ाते कदमों में
संबल-सी माँ,
जीवन के रसों में
शृंगार-सी माँ,
यादों की झलकियों में,
कृष्णा-सी माँ,
संसार के समस्त रूपों में
आत्मा-सी माँ
Oh.. What a wonder! Its so beautiful! :)
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