Nov 29, 2014

स्मृतियों के फूल!

*

महके मन 

आरज़ू ने  खिलाए 

यादों के फूल । 

*

जीवन-बेली 

सराबोर हो उठी 

बरसे नेह 

*

नारंगी-नभ 

सुषमा है बिखरी 

स्मृतियाँ खिलीं। 

*

हीरे-पन्ने -सी 

जीवन में शोभित 

अथाह यादें 

*

चमक उठे  

लुभावने -रँगीले 

यादों के फूल।

*

प्रेम-बाँसुरी 

गूँजे है हर पोर 

कान्हा-सी यादें।


-Originally published at Hindi Haiku:
https://hindihaiku.wordpress.com/2014/11/24/यादों-के-फूल

Nov 26, 2014

Amen....


एक ख्वाब देखा है तुम्हारे लिए
बड़ा नहीं लेकिन महत्वपूर्ण है। 

भरा है यह सपना आँखों में -
निश्चलता हो तुम्हारी आँखों में,
सरलता हो तुम्हारे हृदय में,
सादगी हो तुम्हरी सोच में। 

जरूरी नहीं सागर की तरह वेग हो
मगर हो उसकी गहराई,
जरूरी नहीं हो तुम में संगीत का शोर
मगर हो उसका मंत्रमुग्ध कर देने वाला सुर,
जरूरी नहीं आज का बिंदासपन हो तुम में
मगर जरूर हो आज का विश्वास, आज का हौसला। 

बाहरी चमक दमक से परे,
मन की चांदनी से सजा
हो तुम्हारा जीवन.
व्यक्तित्व में हो तुम्हारे बहुत सादगी
और मन में हो तुम्हारे, बहुत आदर। 

बहुत आगे जाओ,पढ़ो लिखो
कलाकार बनो
और लिखो अपने जीवन का गान स्वयं। 

Lots of love, mamma.
(अपनी प्यारी बिटिया के लिए लिखी एक कविता, मन के ख़्वाबों से सराबोर)

Image: From the personal file. 

Nov 17, 2014

The "Essence" ...


Times I wake up,
all eyes wide-open
after I travelled to
the full-Moon
a big smile reigns over my lips!

'Was that the highlight?
No,
They don't know the essence
They know the Moon
Was full
But unaware every
Creature stands!

The rabbits we counted
The mountains we surpassed
The tunes we made to echo
The names we shouted
(yes, each other's)
The times our fingers entwined
The moments of the electrified touches
The passion of the quivering lips...
...yes, they know about the bodies!

What they don't know is the 'essence'
... the union of souls!


Image Courtesy: Google Images

Nov 10, 2014

Writer's Block!


यह बड़ी ही बेखुदी
है शब्दों की
जब मन होता है
चले आते है,
सैलाब सा ला-ज़ेहन में 
कागज़ पर घर बना जाते है। 

लेकिन,
मैं तो माध्यम ही हूँ 
इस फेरे में,
पुकारूँ जब तो रूठे हुए 
भी पाती हूँ
तड़पा कर मुझे बेहिसाब 
चैन जाने कहाँ पाते है 
यह शब्द।

सोचती हूँ,
ऐसी भी क्या बेखुदी है 
मेरे ही हो मुझसे जुदा हो जाते 
है यह शब्द।

Image Courtesy: Google images