Jun 28, 2014

विलीन!


एक दिन जब ढूँढ़ना चाहोगे मुझे 
उस दिन जब नहीं मिलूँगी मैं 
अपनी मेज़ पर काम करते,
या रसोई में सब्जी काटते 
या फिर बिस्तर की तह भी ठीक करते ना मिल पाऊँ। 

नहीं मिल पाऊँ जब दीनों-दुनिया की
खातिर मुस्कुराते-बात करते 
या फिर दौड़ते-भागते इस काया को 
चुस्त रखने की आस में,
नहीं मिल पाऊँ जब हमारे घर के 
कोने-कोने में,
मोहल्ले के पार्क में बच्चों को 
खेलती देख भी जब ना मिलूँ। 

हाँ,
उस दिन समझ जाना 
मेरा सर्वस्व अब नहीं रहा तुम्हारे नाम का 
मैं डूब गयी कतरा-कतरा अपने 
उसमें जिसे चाहा मैंने रूह से

हाँ,
उस दिन समझ जाना 
पा लिया मैंने स्वयं को 
मैं विलीन हो गयी अपने शब्दों में!



Image Courtesy: (Google) Underwater painting by Californian artist Erika Craig

1 comment:

  1. एहसास को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है

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